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सोमवार, सितंबर 20, 2010

फैसला देश का

उच्च न्यायालय  का फैसला २४ सितम्बर को आने वाला है, इस समय हम सभी को संयम रखना चाहिए , और न्यायालय  का जो भी फैसला हो सभी को सिरोधार्य करना    चाहिए , क्योंकि हम सभी का पहला धर्म होता है  देश का सम्मान और देश के कानून का पालन करना, हम ये क्यों भूल जाते हैं की हम ना ही हिन्दू हैं ना ही मुसलमान हैं ना ही सिख्ख हैं और ना ही इसाई है हम हिन्दुस्तानी हैं | हम क्यों इस तरह का दंगा फसाद करतें हैं ,आपस में ही अपने भाइयों को मारतें  हैं अपने ही देश को हानि पहुचाते हैं , हमारे कारण हमारी माताएं बहने व बच्चे घर से बहार निकलते हुए डरतें हैं  क्यों हम  आपसी कलह का कारण बनतें हैं| इस्वर  वही है, अल्लाह भी वही है, हम उसी की संतन हैं और उसी की पूजा करतें हैं उसी की इबादत करतें हैं और उसी के लिए ही लड़तें हैं, वो तो ना ही मंदिर में रहता है ना ही मस्जिद में रहता है, वो तो सिर्फ श्रध्दा और विस्वाश में रहता है| फिर भी हम मंदिर मस्जिद के लिए झगड्तें हैं|
कम से कम हम अपने घर को तो सुरक्षित बनायें, आपस में तो सौहार्द रखें, एक दुसरे से मैत्री भावना रखें बड़े बुजुर्गों की सेवा करे दीनों की सहायता करे खुदा की यही सच्ची इबादत है, इस्वर की यही सच्ची पूजा है, खैर जो भी हुआ हो गया लेकिन अब समय आ गया है की आपस मैं मिल कर  उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करें ,
न्यायालय  से जो भी फैसला आयेगा सर्व हित मैं होगा, वैसे न्यायालय को चाहिए की वो उस जगह पर या तो स्कूल खुलवा दे, या फिर अस्पताल बनवा दे और या फिर अनाथालय खुलवा दे, क्योंकि ऐसा करने से ना तो हिन्दू पक्ष में होगा और ना ही मुसलिम पक्ष में होगा और ये फैसला धर्म के हित में होगा इससे सर्व हित की रक्षा होगी |

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