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बुधवार, सितंबर 22, 2010

आल इज वेल

जिसे देखो वही चला आ रहा है   इन्स्पेक्सन  करने  किसी को मेरी चिंता ही नहीं है, मै किस - किस को जवाब दूं, मै बोलता हूँ , सब अपनी - अपनी ऑंखें बंद रखो, पता नहीं, किस की नजर लग जाय, लेकिन  वही हुआ जिसका डर था | पहले छत टूटी, अब  ब्रिज, पता नहीं आगे  क्या होगा,  किसकी नजर  खराब है अब मै क्या करूँ?
         अरे कलमाड़ी अंकल चिंता मत करो यमुना भी  इन्स्पेक्सन  करने आ रही है,  अब कोई कर  भी क्या सकता है  आप ने बनाया ही इतना सुन्दर है, की आदमी क्या  यमुना भी अपने आप को नहीं रोक पा रही है|
 चलो कोई बात नहीं है अपनी  "यम. सी. डी." है ना, सब बराबर कर देगी अगर वो ना कर पाई तो आंटी तो हैं ही,  कितने सालों से साफ करती आई हैं, ये भी साफ़ कर देगीं|

कोई बात नहीं बस दिल पे हाँथ रखो और बोलो  "आल इज वेल-आल इज वेल "

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