नव ऊषा की नवल रश्मि ये,
नव प्रभात ले आई है |
नव उपवन की ये किसलय,
जो चहूँ दिशा महकाई है|
मन प्रसून तन उपवन बन कर,
मलय बसंत बहाया है |
अहो भाग्य है, हम सब का,
जो नवल क्रांति ले आया है |
हे पथिक रुकना मत आगे,
तुमको बढ़ते जाना है |
बढ़ कर स्वागत कर लो,
कल ही इसको आना है |
कल ही इसको आना है ||
(आप सभी को नव वर्ष मंगलमय हो)
नव प्रभात ले आई है |
नव उपवन की ये किसलय,
जो चहूँ दिशा महकाई है|
मन प्रसून तन उपवन बन कर,
मलय बसंत बहाया है |
अहो भाग्य है, हम सब का,
जो नवल क्रांति ले आया है |
हे पथिक रुकना मत आगे,
तुमको बढ़ते जाना है |
बढ़ कर स्वागत कर लो,
कल ही इसको आना है |
कल ही इसको आना है ||
(आप सभी को नव वर्ष मंगलमय हो)
दीपांकर कुमार पाण्डेय
-:सर्वाधिकार सुरक्षित :-