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शुक्रवार, दिसंबर 31, 2010

नव वर्ष

नव ऊषा की नवल रश्मि ये,
नव प्रभात ले आई है |
नव उपवन की ये किसलय,
जो चहूँ दिशा महकाई है|
मन प्रसून तन उपवन बन कर,
मलय बसंत बहाया है |
अहो भाग्य है, हम सब का,
जो नवल क्रांति ले आया है |
हे पथिक रुकना मत आगे,
तुमको बढ़ते जाना है |
बढ़ कर स्वागत कर लो,
कल ही इसको आना है |
कल ही इसको आना है ||
      (आप सभी को नव वर्ष मंगलमय हो)
                             दीपांकर कुमार पाण्डेय 
-:सर्वाधिकार सुरक्षित :- 

बुधवार, दिसंबर 01, 2010

जिंदगी

है इक तलाश जिंदगी ,
है इक प्याश जिंदगी |
उस दौर का मरहम तो नहीं होता,
जिस दौर में, होती है किसी की आश जिंदगी |
मै कहाँ तक शिकायत करूँ जिंदगी से,
क्योंकि, बुझती आँखों में भी दिखाती है,
इक आश जिंदगी |
इक पल में सब कुछ छीन लिया,
फिर भी, बनी है, अनजान जिंदगी ||

        -: सर्वाधिकार सुरक्षित :-