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बुधवार, सितंबर 29, 2010

राम बांड इलाज

अरे अंकल इतने सोच में क्यों हो................?|
क्या बताएं यार जिधर देखो मुसीबत ही मुसीबत है, पूरी दिल्ली में कहीं नहीं, बस यहीं सांप निकलना था|
जहाँ इतनी साफ सफाई है,|

अरे कोई बात नहीं अंकल..., अंग्रेजों को क्या पता, हम उन्हें बोल देगें की,  हम लोग शंकर  भगवान् के भक्त हैं जहाँ भी शुभ काम होता है, हम सांप छोड़तें हैं, इस लिए सांप हम ने छोंडा  है डरने की कोई बात नहीं है|

हाँ यार ऐसा ही कुछ करतें है ....|
लेकिन एक और विडम्बना है....|

अब क्या अंकल....|

यार वो जो छत की पट्टी टूट रही है उससे डर लग रहा है.
अरे उससे क्या डरना अंकल वो तो कब की ठीक हो गयी है|

अरे नहीं यार, ठीक तो हो गयी है, लेकिन डर है की कहीं स्टेडियम में   मै बैठा रहूँ और ऊपर से कोई पट्टी मेरे शर पर गिरे तो मेरी तो..........|


हाँ अंकल ये तो है,   एक इडिया है मेरे दिमाग में, आप आदेश करें तो बोलूँ ,
अरे तू  बोल यार ............|

 अंकल आप ना एक हेलमेट बनवा लो ..........., अबे चुप हेलमेट बनवा लो, लोग क्या कहेगें,|

अरे पूरी बात तो सुनते नहीं हो बीच में ही बोल पड़ते हो, पहले पूरी बात सुनो.... मै कह रहा था की हेलमेट बनवा लो और हेलमेट पर शेरा की तस्वीर बनवा लो, और जब स्टेडियम में जाना तो पहन लेना, जो देखे गा बोल दूंगा की हमारे चेयरमैन साहब खेल भावना को शर से लगा कर रखतें हैं|

हाँ.. यार..ये तो बहुत अच्छा है|
ये तो शर दर्द का राम बांड इलाज है ..|

बुधवार, सितंबर 22, 2010

आल इज वेल

जिसे देखो वही चला आ रहा है   इन्स्पेक्सन  करने  किसी को मेरी चिंता ही नहीं है, मै किस - किस को जवाब दूं, मै बोलता हूँ , सब अपनी - अपनी ऑंखें बंद रखो, पता नहीं, किस की नजर लग जाय, लेकिन  वही हुआ जिसका डर था | पहले छत टूटी, अब  ब्रिज, पता नहीं आगे  क्या होगा,  किसकी नजर  खराब है अब मै क्या करूँ?
         अरे कलमाड़ी अंकल चिंता मत करो यमुना भी  इन्स्पेक्सन  करने आ रही है,  अब कोई कर  भी क्या सकता है  आप ने बनाया ही इतना सुन्दर है, की आदमी क्या  यमुना भी अपने आप को नहीं रोक पा रही है|
 चलो कोई बात नहीं है अपनी  "यम. सी. डी." है ना, सब बराबर कर देगी अगर वो ना कर पाई तो आंटी तो हैं ही,  कितने सालों से साफ करती आई हैं, ये भी साफ़ कर देगीं|

कोई बात नहीं बस दिल पे हाँथ रखो और बोलो  "आल इज वेल-आल इज वेल "

सोमवार, सितंबर 20, 2010

फैसला देश का

उच्च न्यायालय  का फैसला २४ सितम्बर को आने वाला है, इस समय हम सभी को संयम रखना चाहिए , और न्यायालय  का जो भी फैसला हो सभी को सिरोधार्य करना    चाहिए , क्योंकि हम सभी का पहला धर्म होता है  देश का सम्मान और देश के कानून का पालन करना, हम ये क्यों भूल जाते हैं की हम ना ही हिन्दू हैं ना ही मुसलमान हैं ना ही सिख्ख हैं और ना ही इसाई है हम हिन्दुस्तानी हैं | हम क्यों इस तरह का दंगा फसाद करतें हैं ,आपस में ही अपने भाइयों को मारतें  हैं अपने ही देश को हानि पहुचाते हैं , हमारे कारण हमारी माताएं बहने व बच्चे घर से बहार निकलते हुए डरतें हैं  क्यों हम  आपसी कलह का कारण बनतें हैं| इस्वर  वही है, अल्लाह भी वही है, हम उसी की संतन हैं और उसी की पूजा करतें हैं उसी की इबादत करतें हैं और उसी के लिए ही लड़तें हैं, वो तो ना ही मंदिर में रहता है ना ही मस्जिद में रहता है, वो तो सिर्फ श्रध्दा और विस्वाश में रहता है| फिर भी हम मंदिर मस्जिद के लिए झगड्तें हैं|
कम से कम हम अपने घर को तो सुरक्षित बनायें, आपस में तो सौहार्द रखें, एक दुसरे से मैत्री भावना रखें बड़े बुजुर्गों की सेवा करे दीनों की सहायता करे खुदा की यही सच्ची इबादत है, इस्वर की यही सच्ची पूजा है, खैर जो भी हुआ हो गया लेकिन अब समय आ गया है की आपस मैं मिल कर  उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करें ,
न्यायालय  से जो भी फैसला आयेगा सर्व हित मैं होगा, वैसे न्यायालय को चाहिए की वो उस जगह पर या तो स्कूल खुलवा दे, या फिर अस्पताल बनवा दे और या फिर अनाथालय खुलवा दे, क्योंकि ऐसा करने से ना तो हिन्दू पक्ष में होगा और ना ही मुसलिम पक्ष में होगा और ये फैसला धर्म के हित में होगा इससे सर्व हित की रक्षा होगी |