हाल ऐ वतन हम कैसे कहें,
बेदर्द जमाने को हम कैसे सहें,
हाल ऐ वतन हम कैसे कहें, |
मुस्तकविल वतन का क्या होगा,
जख्म ऐ मरहम वतन का क्या होगा,
हम से ही वतन का वजूद है,
दर्द ऐ वतन हम कैसे सहें,
हाल ऐ वतन हम कैसे कहें, |
हम ही वतन के नुमाइंदे हैं,
हाल ऐ वतन हम क्या कहें,
हाल ऐ वतन हम कैसे कहें, ||
दीपांकर कुमार पाण्डेय
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