प्रिय मित्रों मै बहुत दिनों के बाद आज फिर से ब्लॉग पर सक्रीय हो रहा हूँ ,इतने समय के अंतराल के बाद बहुत कुछ है आप लोगों से साझा करने के लिए, इतने समय तक मै ने जो किया उसका जो अनुभव मिला और बहुत सारी बातें हम साझा करेंगें |मित्रों लगभग ३ वर्षों के बाद मै अपना लेख आप लोगों के समक्ष प्रेषित कर रहा हूँ,इन तीन वर्षों का सारा विवरण आप लोगों के साथ साझा करता हूँ |
एक समय जिस तरह से सारा देश अन्ना जी के साथ पागल हो गया था, उन्ही पागलों में से मै भी था, मै भी अन्ना जी अरविन्द जी के साथ व्यवस्था परिवर्तन के लिए आन्दोलनों धरना प्रदर्शनों में सामिल रहा, उनके साथ हर अनसन हर आन्दोलन में भाग लिया, क्योंकि कहीं न कहीं हम भी इस भ्रष्ट व्यवस्था से परेसान हैं, आन्दोलन के बाद अन्ना टीम अरविन्द टीम अलग हुई, मै अरविन्द टीम में सामिल था, अरविन्द टीम राजनीती की ओर निकल पड़ी मै भी उसी दिशा में रुख कर लिया, राजनीती करने के लिए एक राजनीतिक पार्टी का होना जरुरी है इस लिए एक पार्टी का गठन किया गया जिसका नाम आम आदमी पार्टी रखा गया, उस पार्टी में मुझे संगठन निर्माण की जिम्मेदारी दी गई गोपाल राय जी के नेतृत्व में पशिमी दिल्ली में संगठन निर्माण किया साथ में आन्दोलन के समय के वरिष्ट साथी भी थे| उसके बाद विधान शभा में संगठन निर्माण की जिम्मेदारी दी गई जिसमे मै और कुलदीप त्यागी जी थे, हम दोनों ने बहुत महनत कर के १० लोगों की एक टीम बनाया इस टीम में से अरविन्द ने ५ लोगो की एक विधान शभा कमेटी बना दिया और कमान मेरे हाँथ में दे दी, हम लोगों ने फिर जोर शोर से मेहनत करना सुरु किया और विधान शभा में एक मजबूत टीम तैयार किया, अब तक इस टीम में बहुत से लोग आ चुके थे जो सिर्फ महत्वकांक्षी प्राकृत के थे लेकिन कोई बात नहीं हम लोग उनको भी साथ ले कर चल रहे थे, जबकि वो संगठन को अपने हितार्थ प्रयोग करना चाह रहे थे, लेकिन उनसे लड़ते झगड़ते उनको भी साथ ले कर दिन रात काम करते रहे, इस सफ़र में कुछ ऐसे साथी भी थे -थे क्या अभी भी हैं ,- जिनका नाम लिए बिना सब अधूरा है,क्योंकि इन साथियों ने भी मिलने के बाद यानी पार्टी ज्वाइन करने के बाद, बहुत काम किया और लगातार काम किया पूरे दल बादल के साथ काम किया (यहाँ दल बादल से मतलब है परिवार के सभी सदस्य ) | जैसे निर्मला जी ये एक ऐसी महिला सदस्य हैं जिन्होंने पार्टी से जुड़ने के बाद से आज तक पूरे परिवार के साथ जी तोड़ मेहनत किया है पूरी निष्ठा और इमानदारी के साथ |जब हम १० लोग हुआ करते थे विधान शभा में तब निर्मला जी पार्टी में आयीं थीं, उस समय पार्टी में देवेन्द्र पाल सिंह चुग, कुलदीप त्यागी, दीपंकर पाण्डेय (स्वयं ),ब्रिजेश यादव,वीर सिंह,विशनपल सिंह जी,आन्नद त्यागी,राघवेन्द्र शुक्लाजी, तथा २ अन्य साथी थे, जिनका नाम जहन में नहीं आ रहा है, उसके बाद निर्मला जी, फिर राधेश्याम जी और फिर बहुत सारे लोग, सभी को संगठित करते हुए संगठन को आगे बढाया, इस संगठन में कुछ एक ऐसे तत्त्व मौजूद हैं जो की संगठन में सिर्फ अपने आप को आगे करने के लिए कुछ विधान शभा के शीर्ष लोगों की बुराई कर के उनके किये हुए कामो को छुपा के उसको अपना बना के बताना आदि सब बातें किया करते हैं | सारा संगठन तैयार हो गया फिर हमारे बीच में संजय सिंह जी आ के पशिमी दिल्ली की कमान सम्हाल लिया और कहानी का परिवर्तन यहीं से सुरु हो गया |
संजय सिंह जी पशिमी दिल्ली की कमान सम्हाले और राधे श्याम के घर पर रहने लगे, राधे श्याम जी इस मौके का फायदा उठाने लगे और पुराने लोगों की बुराई करने लगे और उन्हें एक ऐसा साथी भी मिल गया जो एक ऐसा आगंतुक है जिसके बारे में न आदि का पता न अंत का ठिकाना उन्होंने जैसे सिर्फ लोगों को बदनाम करने,लोगों की बुराई करने तोड़ने में ही महारथ हासिल की हो ऐसे महानुभाब को हम लोग खम्बाता , बरजोर खम्बाता के नाम से जानते हैं | इन से कई लोगों को बल मिलने लगा क्योंकि ये बात बनाने में माहिर हैं उन लोगों में ये क्षमता कम थी उनमे ये दो नाम तो महत्वपूर्ण हैं डिम्पल जी और राधेश्याम जी |अब इन तीन लोगों का समूह लग गया तोड़ फोड़ मचाने संजय सिंह जी के कान भरने लेकिन हम लोगों ने इतनी इमानदारी और लगन से पुरे तन मन धन और जन से मेहनत किया था की ये लोग कुछ ख़ास बिगाड़ नहीं पाए लेकिन लोगों में अविस्वाश लाने में सफल रहे और आज भी अपने उसी कार्य में पूरी लगन और निष्ठा से लगे हैं की जो भी निष्ठावान आगे आता है उसकी छवि पर कालिख पोतने से पीछे नहीं हटते |
इधर हम सब संगठन में लाने लगे अरविन्द जी का सत्याग्रह सुरु हुआ सब ने मेहनत करके अपनी विधान्शाभा से २६००० समर्थन पत्र भरवा के दिया उनका अनसन तोडा गया, फिर विधान शभा के नामंकन की बारी आई हम सब ने अपना -अपना नामंकनकिया पार्टी में, पार्टी में हम तीन लोगों की शोर्ट लिस्ट किया जिसमे मै निर्मला जी और राधेश्याम जी | अब हम सब ने मेहनत तेज़ कर दिया सबसे ज्यादा मेहनत किया तो सिर्फ निर्मला जी ने लेकिन पार्टी कुछ अजीब कर दिया जो की किसी को समझ नहीं आया,एका एक महेंदर यादव का और जगवीर सिंह का नाम शोर्ट लिस्ट में आगया और राधेश्याम ने अपना नाम वापस ले लिया और ये तब किया जब टिकट फाइनल करने की बारी आई तब | तब सब ने समझ लिया की महेंदर यादव जी को टिकट मिलेगी क्योंकि वो १२४ वार्ड से निर्दली निगम पार्षद थे लेकिन पार्टी से नहीं जुड़े थे वो बाहरी थे जगवीर जी हमारे साथ तो काफी पहले से जुड़ गए थे | हम लोग तो काफी दुखी हुए लेकिन मै ने सोचा कोई बात नहीं महेंदर से मिला जाय कैसा आदमी है स्वभाव कैसा है क्या वो सिर्फ सत्ता लोभी हैं या समाज सेवी हैं | मै उनसे मिला एक दो बार मिला लोगों से पूंछा लोगों ने भी बताया की अच्छा आदमी है कुछ दिन साथ में सभाएं की साथ मेंकाम किया फिर उनके व्यक्तित्व के बारे में पूरी जानकारी हो जाने के बाद मुझे भी लगा की ये वास्तव में टिकट के दावेदार हैं | और मै ने भी इनको हो सपोर्ट करना सुरु कर दिया निर्मला जी ने भी सुपोर्ट करना सुरु कर दिया, फिर जब टिकट के वोटिंग की बारी आई तो मै ने अपनी सारी वोट महेंदर को डलवादिया जिससे उनकी टिकट कन्फर्म हो गयी | और फिर मै ने उनको जिताने का बेडा उठाया क्योंकि मै ने देखा की हमारे ही बीच से कुछ लोग उनको हरवाने की जिद पकड़ कर बैठ गए थे, उनका मानना था की हम ने नाम जरुर वापस लिया था पार्टी को दिखाने के लिए लेकिन अगर महेंदर हार जेयेगा तो पार्टी में मेरा कद ऊँचा हो जाएगा, मै तो उन लोगों के इस मिजाज से पूरी तरह वाकिब हूँ,की "मुह में राम बगल में छूरी" ये बात मै ने निर्मल जी और अखिलेश को बताया दोनों ने का कहा हम तीनो मिल कर महेंदर को जिताएंगे और फिर चुनाव की पूरी कमान मै ने सम्हाली और मुस्तैदी से चुनाव लड़ा इस चुनाव में अखिलेश की अहम् जिम्मेदारी थी, उसकी जिम्मेदारी थी परमिशन लाना और वो परमिशन लता गया हम लोग डट के प्रचार करते गए , इस बीच महेंदर के नजदीकी जो आज उनके बहुत ख़ास मानते हैं अपने आप को,पूरी तरह समर्पित कर दिया है अपने आप को जैसे, वो पहले मुझे डेटा लीक करने का इल्जाम लगाया फिर इल्जाम लगाया की डेटा नहीं दे रहा है,कई तरह के फेक इल्जाम लगाने से कम नहीं बना तो मुझे आफ़र देने लगे | और बहुत से बातें सामने आयीं जिसका जिक्र करना ठीक नहीं हैं | आज भी मै महेंदर यादव के साथ हूँ की वो वाकई इमानदार व्यक्ति है,लोग उसके बारे बहुत कुछ बतातें हैं लेकिन आज तक कुछ सामने नहीं आया है | जितना मै जानता हूँ वो अच्छा आदमी है मै हमेशा उसका साथ दूंगा क्योंकि वो कुछ अच्छा करना चाहता है लोगों के लिए | इस विधान शभा में कुछ ऐसे लोग मिले हैं जो की वाकई सम्मान के काबिल हैं जिनका मै तहे दिल से सम्मान करता हूँ वो हैं "श्री देवेन्द्र पाल सिंह चुग, श्री कुलदीप त्यागी,श्री मती निर्मला कुमारी और अंत में श्री महेंदर यादव क्यों की ये लोग वाकई समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं |
एक समय जिस तरह से सारा देश अन्ना जी के साथ पागल हो गया था, उन्ही पागलों में से मै भी था, मै भी अन्ना जी अरविन्द जी के साथ व्यवस्था परिवर्तन के लिए आन्दोलनों धरना प्रदर्शनों में सामिल रहा, उनके साथ हर अनसन हर आन्दोलन में भाग लिया, क्योंकि कहीं न कहीं हम भी इस भ्रष्ट व्यवस्था से परेसान हैं, आन्दोलन के बाद अन्ना टीम अरविन्द टीम अलग हुई, मै अरविन्द टीम में सामिल था, अरविन्द टीम राजनीती की ओर निकल पड़ी मै भी उसी दिशा में रुख कर लिया, राजनीती करने के लिए एक राजनीतिक पार्टी का होना जरुरी है इस लिए एक पार्टी का गठन किया गया जिसका नाम आम आदमी पार्टी रखा गया, उस पार्टी में मुझे संगठन निर्माण की जिम्मेदारी दी गई गोपाल राय जी के नेतृत्व में पशिमी दिल्ली में संगठन निर्माण किया साथ में आन्दोलन के समय के वरिष्ट साथी भी थे| उसके बाद विधान शभा में संगठन निर्माण की जिम्मेदारी दी गई जिसमे मै और कुलदीप त्यागी जी थे, हम दोनों ने बहुत महनत कर के १० लोगों की एक टीम बनाया इस टीम में से अरविन्द ने ५ लोगो की एक विधान शभा कमेटी बना दिया और कमान मेरे हाँथ में दे दी, हम लोगों ने फिर जोर शोर से मेहनत करना सुरु किया और विधान शभा में एक मजबूत टीम तैयार किया, अब तक इस टीम में बहुत से लोग आ चुके थे जो सिर्फ महत्वकांक्षी प्राकृत के थे लेकिन कोई बात नहीं हम लोग उनको भी साथ ले कर चल रहे थे, जबकि वो संगठन को अपने हितार्थ प्रयोग करना चाह रहे थे, लेकिन उनसे लड़ते झगड़ते उनको भी साथ ले कर दिन रात काम करते रहे, इस सफ़र में कुछ ऐसे साथी भी थे -थे क्या अभी भी हैं ,- जिनका नाम लिए बिना सब अधूरा है,क्योंकि इन साथियों ने भी मिलने के बाद यानी पार्टी ज्वाइन करने के बाद, बहुत काम किया और लगातार काम किया पूरे दल बादल के साथ काम किया (यहाँ दल बादल से मतलब है परिवार के सभी सदस्य ) | जैसे निर्मला जी ये एक ऐसी महिला सदस्य हैं जिन्होंने पार्टी से जुड़ने के बाद से आज तक पूरे परिवार के साथ जी तोड़ मेहनत किया है पूरी निष्ठा और इमानदारी के साथ |जब हम १० लोग हुआ करते थे विधान शभा में तब निर्मला जी पार्टी में आयीं थीं, उस समय पार्टी में देवेन्द्र पाल सिंह चुग, कुलदीप त्यागी, दीपंकर पाण्डेय (स्वयं ),ब्रिजेश यादव,वीर सिंह,विशनपल सिंह जी,आन्नद त्यागी,राघवेन्द्र शुक्लाजी, तथा २ अन्य साथी थे, जिनका नाम जहन में नहीं आ रहा है, उसके बाद निर्मला जी, फिर राधेश्याम जी और फिर बहुत सारे लोग, सभी को संगठित करते हुए संगठन को आगे बढाया, इस संगठन में कुछ एक ऐसे तत्त्व मौजूद हैं जो की संगठन में सिर्फ अपने आप को आगे करने के लिए कुछ विधान शभा के शीर्ष लोगों की बुराई कर के उनके किये हुए कामो को छुपा के उसको अपना बना के बताना आदि सब बातें किया करते हैं | सारा संगठन तैयार हो गया फिर हमारे बीच में संजय सिंह जी आ के पशिमी दिल्ली की कमान सम्हाल लिया और कहानी का परिवर्तन यहीं से सुरु हो गया |
संजय सिंह जी पशिमी दिल्ली की कमान सम्हाले और राधे श्याम के घर पर रहने लगे, राधे श्याम जी इस मौके का फायदा उठाने लगे और पुराने लोगों की बुराई करने लगे और उन्हें एक ऐसा साथी भी मिल गया जो एक ऐसा आगंतुक है जिसके बारे में न आदि का पता न अंत का ठिकाना उन्होंने जैसे सिर्फ लोगों को बदनाम करने,लोगों की बुराई करने तोड़ने में ही महारथ हासिल की हो ऐसे महानुभाब को हम लोग खम्बाता , बरजोर खम्बाता के नाम से जानते हैं | इन से कई लोगों को बल मिलने लगा क्योंकि ये बात बनाने में माहिर हैं उन लोगों में ये क्षमता कम थी उनमे ये दो नाम तो महत्वपूर्ण हैं डिम्पल जी और राधेश्याम जी |अब इन तीन लोगों का समूह लग गया तोड़ फोड़ मचाने संजय सिंह जी के कान भरने लेकिन हम लोगों ने इतनी इमानदारी और लगन से पुरे तन मन धन और जन से मेहनत किया था की ये लोग कुछ ख़ास बिगाड़ नहीं पाए लेकिन लोगों में अविस्वाश लाने में सफल रहे और आज भी अपने उसी कार्य में पूरी लगन और निष्ठा से लगे हैं की जो भी निष्ठावान आगे आता है उसकी छवि पर कालिख पोतने से पीछे नहीं हटते |
इधर हम सब संगठन में लाने लगे अरविन्द जी का सत्याग्रह सुरु हुआ सब ने मेहनत करके अपनी विधान्शाभा से २६००० समर्थन पत्र भरवा के दिया उनका अनसन तोडा गया, फिर विधान शभा के नामंकन की बारी आई हम सब ने अपना -अपना नामंकनकिया पार्टी में, पार्टी में हम तीन लोगों की शोर्ट लिस्ट किया जिसमे मै निर्मला जी और राधेश्याम जी | अब हम सब ने मेहनत तेज़ कर दिया सबसे ज्यादा मेहनत किया तो सिर्फ निर्मला जी ने लेकिन पार्टी कुछ अजीब कर दिया जो की किसी को समझ नहीं आया,एका एक महेंदर यादव का और जगवीर सिंह का नाम शोर्ट लिस्ट में आगया और राधेश्याम ने अपना नाम वापस ले लिया और ये तब किया जब टिकट फाइनल करने की बारी आई तब | तब सब ने समझ लिया की महेंदर यादव जी को टिकट मिलेगी क्योंकि वो १२४ वार्ड से निर्दली निगम पार्षद थे लेकिन पार्टी से नहीं जुड़े थे वो बाहरी थे जगवीर जी हमारे साथ तो काफी पहले से जुड़ गए थे | हम लोग तो काफी दुखी हुए लेकिन मै ने सोचा कोई बात नहीं महेंदर से मिला जाय कैसा आदमी है स्वभाव कैसा है क्या वो सिर्फ सत्ता लोभी हैं या समाज सेवी हैं | मै उनसे मिला एक दो बार मिला लोगों से पूंछा लोगों ने भी बताया की अच्छा आदमी है कुछ दिन साथ में सभाएं की साथ मेंकाम किया फिर उनके व्यक्तित्व के बारे में पूरी जानकारी हो जाने के बाद मुझे भी लगा की ये वास्तव में टिकट के दावेदार हैं | और मै ने भी इनको हो सपोर्ट करना सुरु कर दिया निर्मला जी ने भी सुपोर्ट करना सुरु कर दिया, फिर जब टिकट के वोटिंग की बारी आई तो मै ने अपनी सारी वोट महेंदर को डलवादिया जिससे उनकी टिकट कन्फर्म हो गयी | और फिर मै ने उनको जिताने का बेडा उठाया क्योंकि मै ने देखा की हमारे ही बीच से कुछ लोग उनको हरवाने की जिद पकड़ कर बैठ गए थे, उनका मानना था की हम ने नाम जरुर वापस लिया था पार्टी को दिखाने के लिए लेकिन अगर महेंदर हार जेयेगा तो पार्टी में मेरा कद ऊँचा हो जाएगा, मै तो उन लोगों के इस मिजाज से पूरी तरह वाकिब हूँ,की "मुह में राम बगल में छूरी" ये बात मै ने निर्मल जी और अखिलेश को बताया दोनों ने का कहा हम तीनो मिल कर महेंदर को जिताएंगे और फिर चुनाव की पूरी कमान मै ने सम्हाली और मुस्तैदी से चुनाव लड़ा इस चुनाव में अखिलेश की अहम् जिम्मेदारी थी, उसकी जिम्मेदारी थी परमिशन लाना और वो परमिशन लता गया हम लोग डट के प्रचार करते गए , इस बीच महेंदर के नजदीकी जो आज उनके बहुत ख़ास मानते हैं अपने आप को,पूरी तरह समर्पित कर दिया है अपने आप को जैसे, वो पहले मुझे डेटा लीक करने का इल्जाम लगाया फिर इल्जाम लगाया की डेटा नहीं दे रहा है,कई तरह के फेक इल्जाम लगाने से कम नहीं बना तो मुझे आफ़र देने लगे | और बहुत से बातें सामने आयीं जिसका जिक्र करना ठीक नहीं हैं | आज भी मै महेंदर यादव के साथ हूँ की वो वाकई इमानदार व्यक्ति है,लोग उसके बारे बहुत कुछ बतातें हैं लेकिन आज तक कुछ सामने नहीं आया है | जितना मै जानता हूँ वो अच्छा आदमी है मै हमेशा उसका साथ दूंगा क्योंकि वो कुछ अच्छा करना चाहता है लोगों के लिए | इस विधान शभा में कुछ ऐसे लोग मिले हैं जो की वाकई सम्मान के काबिल हैं जिनका मै तहे दिल से सम्मान करता हूँ वो हैं "श्री देवेन्द्र पाल सिंह चुग, श्री कुलदीप त्यागी,श्री मती निर्मला कुमारी और अंत में श्री महेंदर यादव क्यों की ये लोग वाकई समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं |
really politics is a tough job .best of luck
जवाब देंहटाएंशब्द नहीं हैं तारीफ़ के लिए दीपांकर जी!!
जवाब देंहटाएंअपने कर्म में डटे रहें ... कामयाबी मिलेगी ...
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