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गुरुवार, अगस्त 23, 2012

सरकार या भ्रस्टाचार

गत ५ अगस्त अन्ना हजारे जी का अनसन खत्म ही हुआ था की, ९ अगस्त को बाबा रामदेव जी ने काले धन विरोधी अनसन का विगुल बजा दिया| सरकार अन्ना के अनसनास्त्र के प्रहार के डर से उबर भी नहीं पाई थी की, स्वामी रामदेव जी ने अपने अनसनात्मक दिव्यास्त्र का प्रहार कर दिया,| हालाँकि  अन्ना जी के तरकस में उतने प्रभावी अस्त्र नहीं थे, जिसके कारण सरकार को कोई असर हुआ हो , लेकिन सरकार में आंतरिक हलचल तो मची ही थी ,लेकिन सरकार की तरफ से कोई जबाब न आने की वजह से  अन्ना जी को यह  अनसन समाप्त करना पड़ा | दरअसल बात तो दीगर थी की सरकार को कोई बात मानना नहीं था और अन्ना टीम लहाखर हो रही थी, जनता में रोस तो था ही, अगर अन्ना टीम में से किसी को कुछ हो जाता तो जनता को सम्भाल पाना मुस्किल था, और सरकार की तरफ से ये आवाज आ रही थी की, क़ानून सड़क पर बैठ कर नहीं बनते अगर क़ानून बनाना हो तो संसद में आओ |
     इन आन्दोलनों ने बेईमानी के अभिशाप को जनता के सामने लाया है | गांधीवादी अन्ना हजारे और योग गुरु स्वामी रामदेव के नेतृत्व में चले दोनों ही आन्दोलन अहिंसक रहे और इसके लिए आन्दोलन को मार्गदर्शन देने वाले और इसमें शामिल हजारों लोग प्रशंसा के पात्र हैं | लेकिन दोनों आन्दोलन सरकार पर कोई प्रभावी असर नहीं डाल पाए| हकीकत तो यह है की मनमोहन सिंह की सरकार और ज्यादा  मनमानी पे उतारू हो गई और व्यवस्था को बर्बाद करने वाले भ्रस्टाचार  में लग गयी |
     
परन्तु स्वामी राम  देव के अनसनात्मक  दिव्यास्त्र के प्रहार ने सरकार को झकझोर दिया,साथ में उलझन में भी डाल दिया,क्योंकि जिस दिन वो अनसन ख़त्म कर रहे थे उस दिन कई पार्टियों के मुखिया तथा बड़े नेता राम देव जी के  मंच पर पहुँच गये और भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सामिल होने का एलान किया,और बात इतने पर नहीं रुकी स्वामी राम देव जी अपने समर्थकों के साथ सड़क पर उतर आये और सांसद का घेराव करने निकल दिए, परन्तु पुलिस ने चारों तरफ से रास्ता जाम कर दिया और बाबा रामदेव को गिरफ्तार कर लिया, बाबा के समर्थकों की ज्यादा तादात होने की वजह से उन्हें जेल तो नहीं ले जा पाई परन्तु दिल्ली के अम्बेडकर स्टेडियम में समर्थकों के साथ एक रात तक रखा |
        सरकार का रवैया रहस्य का विषय है | ऐसा जान पड़ता है की पार्टी मान चुकी है कि २०१४ के चुनाव में उसे वापस नहीं आना है,और इस लिए कुछ नहीं करना बेहतर समझ रही है | हलांकि सरकार का यह अड़ियल रवैया उसके लिए महंगा साबित होगा | वास्तव में लोग जिस तरह १९८९ के चुनाव में राजीव गाँधी को बोफोर्स घोटाले से जोड़ कर देख रहे थे, उसी प्रकार अब भ्रस्टाचार से कांग्रेश को जोड़ने लगे हैं
        
यहाँ समस्या संस्था की नहीं समस्या है भ्रस्टाचार की, क्योंकि सरकार इन मुश्किलों को तो झेल ही रही थी की, कोयला घोटाला सामने आ गया, जिससे विपक्ष ने खुल कर हल्ला बोल दिया और प्रधानमन्त्री जी के इस्तीफे की मांग कर डाली, परन्तु सत्ता पक्ष भी कुछ कम नहीं उन्होंने कह दिया की पहले घोटाला साबित करो फिर इस्तीफे की मांग करो,आये दिन सरकार के  घोटाले सामने आ रहें हैं परन्तु सरकार मानने को तैयार नहीं, सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं ,सरकार यह जान रही है परन्तु अपने हरकतों से बाज नहीं आ रही है| अगर आज की बात करें तो आम आदमी महंगाई  के बोझ तले दबता जा रहा है, परन्तु सरकार के मंत्री उसी महंगाई को जायज बता रहें हैं,|
       
भ्रस्टाचार के विरोध में सभी राजनीतिक पार्टियाँ बोलती हैं, और यह दावा भी करतीं हैं की हम भ्रस्टाचार को मिटायेंगे, परन्तु सत्तासीन होते ही भ्रस्टाचार की परिभाषा ही बदल जाती हैजनता जिसको भ्रस्ताचार की संज्ञा देती है, विपक्ष जिस पर आपत्ति  जताते हैं,सत्ता पक्ष उसको सही बताता है,ऐसे  में   जनता का  सड़क  पर  उतरना  लाजमी  है | जिस महंगाई  को  कम  करने की गुहार लगाई जा रही है , सत्ता के मंत्री उसको सही बता रहे हैं| जिस घोटाले के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए, जिस पर सब आपत्ति जाता रहे हैंउस घोटाले को सिरे से नकार दिया जाता है, फिर भ्रस्टाचार कैसे कम हो सकता है |
         
भ्रस्टाचार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे जी ने जो लड़ाई की सुरुआत की वो आज पूरे देश में आग की तरह फ़ैल चुकी है, तथा  स्वामी रामदेव जी इस लड़ाई में नये मुद्दे के साथ आ कर लड़ाई इस आग को और बढ़ा दिया | अन्ना टीम जन लोकपाल लाने का अनुरोध कर रही है सरकार उस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है, उसको दबाना चाहती है, इधर स्वामी राम देव जी काले धन का मुद्दा लेकर अड़े हैं तो सरकार का गम राही रवैया दिखने लगा है, कहीं न कहीं महंगाई का एक कारण विदेशों में जमा कला धन भी है, परन्तु सरकार पता नहीं कैसे भ्रष्टाचार ख़त्म करेगी | काले धन को ले कर स्वामी रामदेव ने पहले भी अनसन किया था, उस समय सरकारी हिंसा का शिकार हुए थे , परन्तु १४ महीने बाद फिर कमर कसा और सरकार की नींद उड़ा दिया| परन्तु सरकार को कैसे चेताया जाय की भ्रष्टाचार चरम पर है और जनता परेशान हो रही है |
        
सत्ता पक्ष लगातार अपनी बात सर्वोपरि रखते हुए कहे जा रही है की हम भ्रस्टाचार को रोकने के लिए कदम उठा रहें हैं, और विदेशों में जमा पैसों को वापस लाने की मुहीम विदेश मंत्रालय ने सुरु कर दिया है | परन्तु ये बातें थोथी ही मालूम होती हैं , और सरकार के दावे कागजी मात्र लग रहे हैं |पिछले दिनों चल रहे अन्ना आन्दोलन के दौरान सत्ता पक्ष से ये कहा गया की कानून सड़कों पर बैठ कर नहीं बनते, कानून सांसद में बनते हैं और क़ानून पारित कराना है तो सांसद में आओ, इससे यह अटकलें लगाईं जा रहीं हैं कि जनलोकपाल पारित करना तो दूर सरकार उसके बारे में सोच भी नहीं रही है |
      कुछ दुसरे देशों से मिले नामों कि सूची का खुलासा कर सरकार स्थिति को थोडा अपनी ओर कर सकती थी | लेकिन अगर यह आरोप सही है कि  इस सूची में कांग्रेस के बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं, तो यह समझने वाली बात है कि सरकार इन नामों को क्यों छुपा रही है और विदेशों में जमा पैसों को वापस लाने में  क्यों पीछे हट रही है | पार्टी को डर है कि ऐसा करने पर भेद खुल जाएगा |
     कांग्रेस को एकतरफ़ा दोषी बताकर स्वामी रामदेव ने गलती की है | इस हमाम में सभी  नंगे हैं | भाजपा, सपा, बसपा, जे. डी. यू. जैसी तमाम पार्टियों के खिलाफ गम्भीर आरोप हैं | यहाँ कि बाबा राम देव भी इससे परे नहीं हैं | उनके कुछ ट्रस्ट जांच के घेरे में हैं | अचार के डीलर ने जो सम्पत्ति खरीद कर  बाबा राम देव को दिया है, उसका अभी  तक उल्लेख नहीं हुआ है | जो लोग बराबरी चाहते हैं, वे अपने घरों को भी दुरुस्त रखें | लड़ाई तो अभी शुरू हुई है |