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मंगलवार, अप्रैल 15, 2014

कुछ मेरी भी

         प्रिय मित्रों मै बहुत दिनों  के बाद आज फिर से ब्लॉग पर सक्रीय हो रहा हूँ ,इतने समय के अंतराल के बाद बहुत कुछ है आप लोगों से साझा करने के लिए, इतने समय तक मै ने  जो किया उसका जो अनुभव मिला और बहुत सारी बातें हम साझा करेंगें |मित्रों लगभग ३ वर्षों के बाद मै अपना लेख आप लोगों के समक्ष प्रेषित कर रहा हूँ,इन तीन वर्षों का सारा विवरण आप लोगों के साथ साझा करता हूँ |
    एक समय जिस तरह से सारा देश अन्ना जी के साथ पागल हो गया था, उन्ही पागलों में से मै  भी था, मै  भी अन्ना जी अरविन्द जी के साथ व्यवस्था परिवर्तन के लिए आन्दोलनों धरना  प्रदर्शनों  में सामिल रहा, उनके साथ हर अनसन हर आन्दोलन में भाग लिया, क्योंकि कहीं न कहीं हम भी इस भ्रष्ट व्यवस्था से परेसान हैं, आन्दोलन के बाद अन्ना टीम अरविन्द टीम अलग हुई, मै अरविन्द टीम में सामिल था, अरविन्द टीम राजनीती की ओर निकल पड़ी मै भी उसी दिशा में रुख कर लिया, राजनीती करने के लिए एक राजनीतिक पार्टी का होना जरुरी है इस लिए एक पार्टी का गठन किया गया जिसका नाम आम आदमी पार्टी रखा गया, उस पार्टी में मुझे संगठन निर्माण की जिम्मेदारी दी गई गोपाल राय जी के नेतृत्व में पशिमी दिल्ली में संगठन निर्माण किया साथ में आन्दोलन के समय के वरिष्ट साथी भी थे| उसके बाद विधान शभा  में संगठन निर्माण की जिम्मेदारी दी गई जिसमे मै और कुलदीप त्यागी जी थे, हम दोनों ने बहुत महनत कर के १० लोगों की एक टीम बनाया इस टीम में से अरविन्द ने ५ लोगो की एक विधान शभा कमेटी बना दिया और कमान मेरे हाँथ में दे दी, हम लोगों ने फिर जोर शोर से मेहनत करना सुरु किया और विधान शभा में एक मजबूत टीम तैयार किया, अब तक इस टीम में बहुत से लोग आ चुके थे जो सिर्फ महत्वकांक्षी  प्राकृत के थे लेकिन कोई बात नहीं हम लोग उनको भी साथ ले कर चल रहे थे, जबकि वो संगठन को अपने हितार्थ प्रयोग करना चाह रहे थे, लेकिन उनसे लड़ते झगड़ते उनको भी साथ ले कर दिन रात काम करते रहे, इस सफ़र में कुछ ऐसे साथी भी थे -थे क्या अभी भी हैं ,- जिनका नाम लिए बिना सब अधूरा है,क्योंकि इन साथियों ने भी मिलने के बाद यानी पार्टी ज्वाइन करने के बाद, बहुत काम किया और लगातार काम किया  पूरे दल बादल के साथ काम किया (यहाँ दल बादल से मतलब है परिवार के सभी सदस्य ) | जैसे निर्मला जी ये एक ऐसी महिला सदस्य हैं जिन्होंने पार्टी से जुड़ने के बाद से आज तक पूरे परिवार के साथ जी तोड़ मेहनत  किया है पूरी निष्ठा और इमानदारी के साथ |जब हम १० लोग हुआ करते थे विधान शभा में तब निर्मला जी पार्टी में आयीं थीं, उस समय पार्टी में देवेन्द्र पाल सिंह चुग,  कुलदीप त्यागी, दीपंकर पाण्डेय (स्वयं ),ब्रिजेश यादव,वीर सिंह,विशनपल सिंह जी,आन्नद त्यागी,राघवेन्द्र शुक्लाजी, तथा २  अन्य साथी थे, जिनका नाम जहन में नहीं आ रहा  है, उसके बाद निर्मला जी, फिर राधेश्याम जी और फिर बहुत सारे लोग, सभी को संगठित करते हुए संगठन को आगे बढाया, इस संगठन में कुछ एक  ऐसे तत्त्व मौजूद हैं जो की संगठन में सिर्फ अपने आप को आगे करने के लिए कुछ विधान शभा के शीर्ष लोगों की बुराई कर के उनके किये हुए कामो को छुपा के उसको अपना बना के बताना आदि सब बातें किया करते हैं | सारा संगठन तैयार हो गया फिर हमारे बीच में संजय सिंह जी आ के पशिमी दिल्ली की कमान सम्हाल लिया और कहानी का परिवर्तन यहीं से सुरु हो गया |
      संजय सिंह जी पशिमी दिल्ली की कमान सम्हाले और राधे श्याम के घर पर रहने लगे, राधे श्याम जी इस मौके का फायदा उठाने लगे और पुराने लोगों की बुराई करने लगे और उन्हें एक ऐसा साथी भी मिल गया जो एक ऐसा आगंतुक है जिसके बारे में न आदि का पता न अंत का ठिकाना उन्होंने जैसे सिर्फ लोगों को बदनाम करने,लोगों की बुराई करने तोड़ने में ही महारथ हासिल की हो ऐसे महानुभाब को हम लोग खम्बाता  , बरजोर खम्बाता के नाम से जानते हैं  | इन  से कई लोगों को बल मिलने लगा क्योंकि ये बात बनाने में माहिर हैं उन लोगों में ये क्षमता कम थी  उनमे ये  दो नाम तो महत्वपूर्ण हैं डिम्पल जी और राधेश्याम जी |अब इन तीन लोगों का समूह लग गया तोड़ फोड़ मचाने संजय सिंह जी के कान भरने लेकिन हम लोगों ने इतनी इमानदारी और लगन से पुरे तन मन धन और जन से मेहनत किया था की  ये लोग कुछ ख़ास बिगाड़ नहीं पाए लेकिन लोगों में अविस्वाश लाने में सफल रहे और आज भी अपने उसी कार्य में पूरी लगन और निष्ठा से लगे हैं की जो भी निष्ठावान आगे आता है उसकी छवि पर कालिख पोतने से पीछे नहीं हटते |
   इधर हम सब संगठन में लाने लगे अरविन्द जी का सत्याग्रह सुरु हुआ सब ने मेहनत करके अपनी विधान्शाभा से २६००० समर्थन पत्र भरवा के दिया उनका अनसन तोडा गया, फिर विधान शभा के नामंकन की बारी आई हम सब ने अपना -अपना नामंकनकिया पार्टी में, पार्टी में हम तीन लोगों की शोर्ट लिस्ट किया जिसमे मै निर्मला जी और राधेश्याम जी | अब हम सब ने मेहनत तेज़ कर दिया सबसे ज्यादा मेहनत किया तो सिर्फ निर्मला जी ने लेकिन पार्टी कुछ अजीब कर दिया जो की किसी को समझ नहीं आया,एका  एक महेंदर यादव का और जगवीर सिंह का नाम शोर्ट लिस्ट में आगया और राधेश्याम ने अपना नाम वापस ले लिया  और ये तब किया जब टिकट फाइनल करने की बारी आई तब | तब सब ने समझ लिया की महेंदर यादव जी को टिकट मिलेगी क्योंकि वो १२४ वार्ड से निर्दली निगम पार्षद  थे लेकिन पार्टी से नहीं जुड़े थे वो बाहरी थे जगवीर जी हमारे साथ तो काफी पहले से जुड़ गए थे | हम लोग तो काफी दुखी हुए लेकिन मै ने सोचा कोई बात नहीं महेंदर से मिला जाय कैसा आदमी है स्वभाव कैसा है क्या वो सिर्फ सत्ता लोभी हैं या समाज सेवी हैं | मै  उनसे मिला एक दो बार मिला लोगों से पूंछा लोगों ने भी बताया की अच्छा आदमी है कुछ दिन साथ में सभाएं की साथ मेंकाम  किया फिर उनके व्यक्तित्व के बारे में पूरी जानकारी हो जाने के बाद मुझे भी लगा की ये वास्तव में टिकट के दावेदार हैं | और मै ने भी इनको हो सपोर्ट करना सुरु कर दिया निर्मला जी ने भी सुपोर्ट करना सुरु कर दिया, फिर जब टिकट के वोटिंग की बारी आई तो मै ने अपनी सारी वोट महेंदर को डलवादिया जिससे उनकी टिकट कन्फर्म हो गयी | और फिर मै ने उनको जिताने का बेडा उठाया क्योंकि मै ने देखा की हमारे ही बीच से कुछ लोग उनको हरवाने की जिद पकड़ कर बैठ गए थे, उनका मानना था की हम ने नाम जरुर वापस लिया था पार्टी को दिखाने के लिए लेकिन अगर महेंदर हार जेयेगा तो पार्टी में मेरा कद ऊँचा हो जाएगा, मै  तो उन लोगों के इस मिजाज से पूरी तरह वाकिब हूँ,की "मुह में राम बगल में छूरी"  ये बात मै ने निर्मल जी और अखिलेश को बताया दोनों ने का कहा हम तीनो मिल कर महेंदर को जिताएंगे और फिर चुनाव की पूरी कमान मै ने सम्हाली और मुस्तैदी से चुनाव लड़ा इस चुनाव में अखिलेश की अहम् जिम्मेदारी थी, उसकी जिम्मेदारी थी परमिशन लाना और वो परमिशन लता गया हम लोग डट के प्रचार करते गए , इस बीच महेंदर के नजदीकी जो आज उनके बहुत ख़ास मानते हैं अपने आप को,पूरी तरह समर्पित कर दिया है अपने आप को जैसे, वो पहले मुझे डेटा लीक करने का इल्जाम लगाया फिर इल्जाम लगाया की डेटा नहीं दे रहा है,कई तरह के फेक इल्जाम लगाने से कम नहीं बना तो मुझे आफ़र देने लगे | और बहुत से बातें सामने आयीं जिसका जिक्र करना ठीक नहीं हैं | आज भी मै महेंदर यादव के साथ हूँ की वो वाकई इमानदार व्यक्ति है,लोग उसके बारे बहुत कुछ बतातें हैं लेकिन आज तक कुछ सामने नहीं आया है | जितना मै  जानता हूँ वो अच्छा आदमी है मै  हमेशा उसका  साथ दूंगा क्योंकि वो कुछ अच्छा करना चाहता है लोगों के लिए | इस विधान शभा में कुछ ऐसे लोग मिले हैं जो की वाकई सम्मान के काबिल हैं जिनका मै तहे दिल से सम्मान करता हूँ वो हैं "श्री देवेन्द्र पाल सिंह चुग, श्री कुलदीप त्यागी,श्री मती  निर्मला कुमारी और अंत में श्री महेंदर यादव  क्यों की ये लोग वाकई समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं |   
                                                     

गुरुवार, अक्तूबर 25, 2012

रावण हूँ भ्रस्टाचारी नहीं

 एक राम लीला में रावण का अचानक दिमाग ख़राब हो गया, वो मंच से उतर कर भीड़ की ओर भागने लगा,उसको भीड़ की तरफ भागता देख मीडिया  भी पीछे - पीछे भागने लगी , रावण जी -! रावण  जी -! मंच छोंड कर कहाँ भागे जा रहे हो -रावण  जी जरा रुको तो  रावण जी .....।
      रावण जी अचानक रुके और पलट कर कहा, क्या बात है! आप लोग क्यों भाग रहे हो । पत्रकारों ने कहा-, आप मंच छोंड कर कहाँ भागे जा  रहे हो , रावन ने कहा- अचानक मेरे दिमाग में बात आई की मै तो सर्व शक्तिमान हूँ कभी अनाचार नहीं किया, अपनी जिंदगी में मै ने एक ही गैर सामजिक काम किया था, वो पराई स्त्री को चुराने का , मै सीता को सिर्फ  चुराया था परन्तु मै ने उसके साथ कोई अभद्र व्यवहार  नहीं किया , उसके सम्मान का पूरा ख्याल किया, हमारे  राज्य में मंत्रियों को भी यही आदेश था की वो अपना काम पूरी इमानदारी से  करें , और वो वैसा ही करते थे, परन्तु आज तो राजा ही  चोर है, राजा ही बलात्कारी है  और राजा ही भ्रस्टाचारी  है , इस राज्य में  क्या राजा क्या मंत्री सभी प्रजा का धन लूट कर  खा रहें हैं, अगर कोई इसके खिलाफ आवाज उठाता है या आन्दोलन करता है तो उसे गन्दी नाली का कीड़ा कहतें हैं , उसे तथा उसके सहयोगियों को डरातें  हैं धमकाते हैं नोटिस भिजवाते हैं । इतना ही नहीं स्त्रियों को भी ये मंत्री उपभोग की वस्तु  कहतें हैं । ऐसे निर्लज्ज मंत्रियों के बीच ऐसी निर्लज्ज राज व्यवस्था में मुझे जलाया जाएगा, और भ्रष्ट  लोग मुझे जलाएंगे , इससे बड़ा अपमान कभी नहीं हुआ होगा, मै  इस लिए मंच से भागा की कम से कम मुझे ऐसे लोग जलाएं जो सत्य प्रिय हों, न्याय प्रिय हों और भ्रष्ट  ना हों । क्योंकि मै  रावण  हूँ भ्रस्टाचारी  नहीं ।   

गुरुवार, अगस्त 23, 2012

सरकार या भ्रस्टाचार

गत ५ अगस्त अन्ना हजारे जी का अनसन खत्म ही हुआ था की, ९ अगस्त को बाबा रामदेव जी ने काले धन विरोधी अनसन का विगुल बजा दिया| सरकार अन्ना के अनसनास्त्र के प्रहार के डर से उबर भी नहीं पाई थी की, स्वामी रामदेव जी ने अपने अनसनात्मक दिव्यास्त्र का प्रहार कर दिया,| हालाँकि  अन्ना जी के तरकस में उतने प्रभावी अस्त्र नहीं थे, जिसके कारण सरकार को कोई असर हुआ हो , लेकिन सरकार में आंतरिक हलचल तो मची ही थी ,लेकिन सरकार की तरफ से कोई जबाब न आने की वजह से  अन्ना जी को यह  अनसन समाप्त करना पड़ा | दरअसल बात तो दीगर थी की सरकार को कोई बात मानना नहीं था और अन्ना टीम लहाखर हो रही थी, जनता में रोस तो था ही, अगर अन्ना टीम में से किसी को कुछ हो जाता तो जनता को सम्भाल पाना मुस्किल था, और सरकार की तरफ से ये आवाज आ रही थी की, क़ानून सड़क पर बैठ कर नहीं बनते अगर क़ानून बनाना हो तो संसद में आओ |
     इन आन्दोलनों ने बेईमानी के अभिशाप को जनता के सामने लाया है | गांधीवादी अन्ना हजारे और योग गुरु स्वामी रामदेव के नेतृत्व में चले दोनों ही आन्दोलन अहिंसक रहे और इसके लिए आन्दोलन को मार्गदर्शन देने वाले और इसमें शामिल हजारों लोग प्रशंसा के पात्र हैं | लेकिन दोनों आन्दोलन सरकार पर कोई प्रभावी असर नहीं डाल पाए| हकीकत तो यह है की मनमोहन सिंह की सरकार और ज्यादा  मनमानी पे उतारू हो गई और व्यवस्था को बर्बाद करने वाले भ्रस्टाचार  में लग गयी |
     
परन्तु स्वामी राम  देव के अनसनात्मक  दिव्यास्त्र के प्रहार ने सरकार को झकझोर दिया,साथ में उलझन में भी डाल दिया,क्योंकि जिस दिन वो अनसन ख़त्म कर रहे थे उस दिन कई पार्टियों के मुखिया तथा बड़े नेता राम देव जी के  मंच पर पहुँच गये और भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सामिल होने का एलान किया,और बात इतने पर नहीं रुकी स्वामी राम देव जी अपने समर्थकों के साथ सड़क पर उतर आये और सांसद का घेराव करने निकल दिए, परन्तु पुलिस ने चारों तरफ से रास्ता जाम कर दिया और बाबा रामदेव को गिरफ्तार कर लिया, बाबा के समर्थकों की ज्यादा तादात होने की वजह से उन्हें जेल तो नहीं ले जा पाई परन्तु दिल्ली के अम्बेडकर स्टेडियम में समर्थकों के साथ एक रात तक रखा |
        सरकार का रवैया रहस्य का विषय है | ऐसा जान पड़ता है की पार्टी मान चुकी है कि २०१४ के चुनाव में उसे वापस नहीं आना है,और इस लिए कुछ नहीं करना बेहतर समझ रही है | हलांकि सरकार का यह अड़ियल रवैया उसके लिए महंगा साबित होगा | वास्तव में लोग जिस तरह १९८९ के चुनाव में राजीव गाँधी को बोफोर्स घोटाले से जोड़ कर देख रहे थे, उसी प्रकार अब भ्रस्टाचार से कांग्रेश को जोड़ने लगे हैं
        
यहाँ समस्या संस्था की नहीं समस्या है भ्रस्टाचार की, क्योंकि सरकार इन मुश्किलों को तो झेल ही रही थी की, कोयला घोटाला सामने आ गया, जिससे विपक्ष ने खुल कर हल्ला बोल दिया और प्रधानमन्त्री जी के इस्तीफे की मांग कर डाली, परन्तु सत्ता पक्ष भी कुछ कम नहीं उन्होंने कह दिया की पहले घोटाला साबित करो फिर इस्तीफे की मांग करो,आये दिन सरकार के  घोटाले सामने आ रहें हैं परन्तु सरकार मानने को तैयार नहीं, सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं ,सरकार यह जान रही है परन्तु अपने हरकतों से बाज नहीं आ रही है| अगर आज की बात करें तो आम आदमी महंगाई  के बोझ तले दबता जा रहा है, परन्तु सरकार के मंत्री उसी महंगाई को जायज बता रहें हैं,|
       
भ्रस्टाचार के विरोध में सभी राजनीतिक पार्टियाँ बोलती हैं, और यह दावा भी करतीं हैं की हम भ्रस्टाचार को मिटायेंगे, परन्तु सत्तासीन होते ही भ्रस्टाचार की परिभाषा ही बदल जाती हैजनता जिसको भ्रस्ताचार की संज्ञा देती है, विपक्ष जिस पर आपत्ति  जताते हैं,सत्ता पक्ष उसको सही बताता है,ऐसे  में   जनता का  सड़क  पर  उतरना  लाजमी  है | जिस महंगाई  को  कम  करने की गुहार लगाई जा रही है , सत्ता के मंत्री उसको सही बता रहे हैं| जिस घोटाले के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए, जिस पर सब आपत्ति जाता रहे हैंउस घोटाले को सिरे से नकार दिया जाता है, फिर भ्रस्टाचार कैसे कम हो सकता है |
         
भ्रस्टाचार के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे जी ने जो लड़ाई की सुरुआत की वो आज पूरे देश में आग की तरह फ़ैल चुकी है, तथा  स्वामी रामदेव जी इस लड़ाई में नये मुद्दे के साथ आ कर लड़ाई इस आग को और बढ़ा दिया | अन्ना टीम जन लोकपाल लाने का अनुरोध कर रही है सरकार उस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है, उसको दबाना चाहती है, इधर स्वामी राम देव जी काले धन का मुद्दा लेकर अड़े हैं तो सरकार का गम राही रवैया दिखने लगा है, कहीं न कहीं महंगाई का एक कारण विदेशों में जमा कला धन भी है, परन्तु सरकार पता नहीं कैसे भ्रष्टाचार ख़त्म करेगी | काले धन को ले कर स्वामी रामदेव ने पहले भी अनसन किया था, उस समय सरकारी हिंसा का शिकार हुए थे , परन्तु १४ महीने बाद फिर कमर कसा और सरकार की नींद उड़ा दिया| परन्तु सरकार को कैसे चेताया जाय की भ्रष्टाचार चरम पर है और जनता परेशान हो रही है |
        
सत्ता पक्ष लगातार अपनी बात सर्वोपरि रखते हुए कहे जा रही है की हम भ्रस्टाचार को रोकने के लिए कदम उठा रहें हैं, और विदेशों में जमा पैसों को वापस लाने की मुहीम विदेश मंत्रालय ने सुरु कर दिया है | परन्तु ये बातें थोथी ही मालूम होती हैं , और सरकार के दावे कागजी मात्र लग रहे हैं |पिछले दिनों चल रहे अन्ना आन्दोलन के दौरान सत्ता पक्ष से ये कहा गया की कानून सड़कों पर बैठ कर नहीं बनते, कानून सांसद में बनते हैं और क़ानून पारित कराना है तो सांसद में आओ, इससे यह अटकलें लगाईं जा रहीं हैं कि जनलोकपाल पारित करना तो दूर सरकार उसके बारे में सोच भी नहीं रही है |
      कुछ दुसरे देशों से मिले नामों कि सूची का खुलासा कर सरकार स्थिति को थोडा अपनी ओर कर सकती थी | लेकिन अगर यह आरोप सही है कि  इस सूची में कांग्रेस के बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं, तो यह समझने वाली बात है कि सरकार इन नामों को क्यों छुपा रही है और विदेशों में जमा पैसों को वापस लाने में  क्यों पीछे हट रही है | पार्टी को डर है कि ऐसा करने पर भेद खुल जाएगा |
     कांग्रेस को एकतरफ़ा दोषी बताकर स्वामी रामदेव ने गलती की है | इस हमाम में सभी  नंगे हैं | भाजपा, सपा, बसपा, जे. डी. यू. जैसी तमाम पार्टियों के खिलाफ गम्भीर आरोप हैं | यहाँ कि बाबा राम देव भी इससे परे नहीं हैं | उनके कुछ ट्रस्ट जांच के घेरे में हैं | अचार के डीलर ने जो सम्पत्ति खरीद कर  बाबा राम देव को दिया है, उसका अभी  तक उल्लेख नहीं हुआ है | जो लोग बराबरी चाहते हैं, वे अपने घरों को भी दुरुस्त रखें | लड़ाई तो अभी शुरू हुई है |