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शुक्रवार, सितंबर 16, 2011

हाल ऐ वतन

हाल ऐ वतन हम कैसे कहें, 
 बेदर्द जमाने को हम कैसे सहें,
हाल ऐ वतन हम कैसे कहें, | 
मुस्तकविल वतन का क्या होगा,  
जख्म ऐ मरहम वतन का क्या होगा,
हम से ही वतन का वजूद है,
दर्द ऐ वतन हम कैसे सहें,
हाल ऐ वतन हम कैसे कहें, |
हम ही वतन के नुमाइंदे हैं,
हाल ऐ वतन हम क्या कहें,
हाल ऐ वतन हम कैसे कहें, ||
                        दीपांकर कुमार पाण्डेय 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित )       

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति .

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  2. bunavat me khamiyan hain par baat achchhi hai
    bhaav sarahneey,magar bhasha(vyakran)abhi kachchi hai...'hal-e-vatan' hota hai, halai vatan galat hai......bura laga ho to kchhama...

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