बहुत ही अच्छी रचना लिखी है दीपंकर जी आपने। माँ शब्द का अर्थ कितनी सरलता से सबको समझाने की कोशिश की है।
शुरू हुआ है जहाँ से जीवन,
वो तन है कितना पावन
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उस छाया की महिमा क्या ......
वेद पुराण भी कहते हैं॥
हार्दिक शुभकामनायें .... आगे भी ऐसे ही लिखते रहें
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